दोस्त यूँ मुझे हाथों पर रखते हैं खुदा दीखता हैं जब वो हस्तें हैं

कुछ दोस्त यूँ रखते हैं मुझे संभाल कर
कि क्या कहूं , खरा उतर जाता हूँ
ज़िन्दगी कि हर चाल पर
और अब उनकी इतनी आदत सी हो गई है
कि लोगो को दीखता हूँगा मैं एकेला
पर उन्हें नहीं पता मेरे साथ हर पल चलता है ........मेरे दोस्तों का मेला ......
दोस्त यूँ मुझे हाथों पर रखते हैं
खुदा दीखता हैं
जब वो हस्तें हैं
खुदा दीखता हैं
जब वो हस्तें हैं




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