आवाज़ दी तो पहचाना नहीं
आवाज़ दी तो पहचाना नहीं हम चुप रहे तो इशारे करती हो फिर करीब आते तुम्हारे तो कटी कटी रहती दूर चले जाएँ तो साँसे भारती हो, इन अदाओं से मैं वाकिफ़ नहीं... पियार पहला और आख़िरी भी तुम्ही रास्ता अब तुम ही दिखा दो कैसे इस मूहोब्बत को मुकाम दें ज़रा मुझे सिखा दो