अजीब सी है उलझन

अजीब सी है उलझन
धुंधला सा दिखता.... आज दर्पण,
सवाल हैं
जवाब नहीं,
मन की पीड़ा का आज कोई हिसाब नहीं
समझ नही पाती .....
की आख़िर तकलीफ़ किससे है?
बीमारी से?
आने वाले कल से?
हर हाल में हमें जो चलने की प्रेरणा देता है उस होसले से?
अचानक लग जाने वाली खरोंच से?
या लोगो की हम पर थोपी गई बेबुनियादी सोच से???
क्या देगा इसका जवाब ये ज़माना
जिन्हे आता है केवल बातें बनाना ..
सही वक़्त का इंतेज़ार केरूँगी
क्युकि मैने सीख लिया है
हर हाल में खुश रह कर दिखना.....

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