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Showing posts from April, 2018

वक़्त की कद्र करो हर पल ये वक़्त तुम्हारा है मान कर चलो............

वक़्त की आवाज़ है हर लम्हें मैं खुच ख़ास है पहेचानले जो उसके सिर पर ताज है, जो जान कर भी अंजान रहें उनके लिए हर पल रात है ....... वक़्त की कद्र करो हर पल ये वक़्त तुम्हारा है मान कर चलो............

शर्म की बात है पर हम सोचते नही..... हर रोज़ दर्द नाक हादसों से गुज़रती बच्चियाँ चीख चीख कर अपने दर्द की दास्तान सुनती हैं कुछ तड़प तड़प कर मर जातीं हैं कुछ .मार दी जाती हैं सबको सब कुछ पता है फिर भी facebook पर वोट करवाया जाता है इज़्ज़त लूटने वालों को फाँसी मिलनी चाहिए या नही ............? ये सवाल उठाया जाता है........... बहेद शर्म की बात है sonalinirmit.com

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मुकाम को मंज़िलें क्या मिली

चंद ख्वाहिशे क्या सीलि जीने के नज़रिए ही बदल गए, मुकाम को मंज़िलें क्या मिली रुके कदम अपने आप चल गए , गुज़रते रास्तों पर कुछ अंजाने अपने से लगे मौसम भी हमारे साथ हासणे लगे, ज़िंदगी का ये रूप मन को बहुत भाया ना जाने वो कौन सी शक्ति है जिसके रहते हमने ये नया जीवन है पाया धन्यवाद

वक़्त आएगा वक़्त आएगा वक़्त के इंतेज़ार में बैठा मनुष्य वक़्त ही गवाएगा

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समय निकाल कर आता हूँ.........

तकता रहता हूँ तुझे क्योंकि तुझे चाहता हूँ खाली नही हूँ ...... तुम्हारी महोब्बत में डूब कर समय निकाल कर आता हूँ.........समय निकाल कर आता हूँ.........

दोनो के दिल के रिश्ते हैं चाहे मीलों दूरी हैं

कहा था किसी ने कि तुम बहुत खूब लिखते हो हम कहते है कि खूबसूरती लिखने वाले से ज़्यादा पढ़ने वाले में होती है ..... क्योकि हम तो खामोश शब्दो को दिल से उतारने का काम करते हैं और आप उन में आवाज़ा भर उन्हें सराहने का काम करते हैं हम लिखे बिना अधूरे हैं हमारी कविताएँ आपके बिना अधूरी हैं दोनो के दिल के रिश्ते हैं चाहे मीलों दूरी हैं धन्यवाद

बहुत बढ़िया...........

कोई पूछता है क़ी कैसी हो....तो कह देती हूँ बहुत बढ़िया........... क्योंकि जो दिल से चाहते हैं वो आँखों से ही समझ जातें हैं............

गम को गुमान है हर हसी के पीछे उसका ही निशान है......... उसके एहम को हमने कुछ यूँ तोड़ा मुस्कुरकर उसे गले से लगा लिया तभी उसने मेरा साथ है छोड़ा ................

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सब कुछ है इर्द गिर्द

कैसी वीरानी सी ज़िंदगी हो गई है अपनों के बीच बैठा हूँ, फिर भी एकेला रहता हूँ, जैसे बिन घटा के सावन बिना खुश्बू के गुलाब सब कुछ है इर्द गिर्द फिर भी मुझे चाहिए वैराग .....

खुद को खुशनसीब समझना मेरे दोस्त

ठोकर खाकर भी यदि सीखने को मिल जाए तो खुद को खुशनसीब समझना मेरे दोस्त ये मौका भी किस्मत वालों को ही मिलता है 

गौर फर्माओं तो बहुत कुछ कह जाती हैं ये तस्वीरें ............ और हम इन्हें महज़ काग़ज़ का टुकड़ा समझ बैठते हैं

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वक़्त तो मेरे साथ ही था

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मैं सबको दिखने लगा...............

ठोकर खा कर कई कई बार गिरा बहुत मुश्किलों से उठा .......... पर तब किसी को ना दिखा जैसे ही कदम मंज़िलों को छूने लगे मैं सबको दिखने लगा..................

कहने से मेरी चोट गहरी हो जाएगी ....लाज़मी है.....

आज मन को किसी बात से बहुत तकलीफ़ पहुँची आपसे कहने की बार बार सोची ................ पर ना जाने क्यों मन से एक ही आवाज़ बार बार आई क़ि आप भी तो वही आदमी हैं कहने से मेरी चोट गहरी हो जाएगी ....लाज़मी है......

रिश्तों में नमी जिस दिन खो गई साँसों की आज़ादी पिंजरे में बंद हो गई ............. sonalinirmit.com

रिश्तों में नमी जिस दिन खो गई साँसों की आज़ादी पिंजरे में बंद हो गई ............. sonalinirmit.com

कड़वा है पर सच है

जिनके आगे तुम आँसू बहाना चाह रहे हो और वो ना समझ पा रहे हों उनको मुस्कुराकर दिखाओ वो तुम्हें जल्दी समझने की कोशिश करेंगे ........ कड़वा है पर सच है