Posts
Showing posts from December, 2019
माना वक़्त नही है तेरे पास पर फिर भी माँ की तू है आस नज़ाने तू कब उसके साथ वक़्त बिताएगा उसके साथ बैठ कर दो पल मुस्कुराएगा भूल रहा है तू पर वो नही भूल सकती तेरे लिए वो अब सिर्फ़ माँ है उसकी तू है जीने की शक्ति , तेरी बेरूख़ी उसकी साँसों को तड़पाती है तेरी नज़रें माँ कें आँसू क्यों नही देख पाती है क्यों वक़्त इन परिस्थितियों का साथ दे जाता है, क्यों बेटा माँ को बुढ़ापे में साथ नही दे पाता है, माना वक़्त नही है तेरे पास फिर भी तू ही है माँ की आस सलाम करते है उस ताक़त को जो अब है तेरे साथ जिसने मुस्काराकर गुज़रना सिखा दिया तुझे देख कर माँ का चेहरा उदास ...............
- Get link
- X
- Other Apps
माना वक़्त नही है तेरे पास पर फिर भी माँ की तू है आस नज़ाने तू कब उसके साथ वक़्त बिताएगा उसके साथ बैठ कर दो पल मुस्कुराएगा भूल रहा है तू पर वो नही भूल सकती तेरे लिए वो अब सिर्फ़ माँ है उसकी तू है जीने की शक्ति , तेरी बेरूख़ी उसकी साँसों को तड़पाती है तेरी नज़रें माँ कें आँसू क्यों नही देख पाती है क्यों वक़्त इन परिस्थितियों का साथ दे जाता है , क्यों बेटा माँ को बुढ़ापे में साथ नही दे पाता है , माना वक़्त नही है तेरे पास फिर भी तू ही है माँ की आस सलाम करते है उस ताक़त को जो अब है तेरे साथ जिसने मुस्काराकर गुज़रना सिखा दिया तुझे देख कर माँ का चेहरा उदास ...............
वो धूप में खड़ी रह कर मेरा इंतेज़ार करती , मुझे पसीने में लिपटा देख भी प्यार करती मेरी एक मुस्कुराहट के लिए घंटों नाच करती, माँ मेरी मुझसे बहुत प्यार करती, माँ , मैं देश विदेश घूम रहा हूँ किस तरह तुझे हर पल ढूँढ रहा हूँ, उसका छोटा सा व्याख्यान करना चाहता हूँ माँ इस चिट्ठी में , कुछ लम्हें तेरे नाम करना चाहता हूँ, माँ के हाथ के बने खाने के लिए हर जगह तरस जाता हूँ नींद तो बहुत दूर की चीज़ है कोई प्यार से पुकार दे, तो उसमें तुझे ढूँढ उस पर बरस जाता हूँ क्या बताउँ माँ फ़ोन पर तेरे दो शब्द सुनने के लिए ही फोने मिलता हूँ ' बेटा तूने खाना खाया ' ये सुन कर ही पेट भरा पाता हूँ हर शक्स की आँखों में सवाल होता है कि आज क्या क्या किया, बस एक तू ही है जो कहती है सो जा अब , 'आज बहुत कुछ है किया' बनावटी हेलो हाय करते करते जब थक जाता हूँ एक तू ही याद आती है जिसके आगे जैसा हूँ वैसा रह पाता हूँ, माँ तेरी ममता के आगे सिर झुकाता हूँ चाहे आसमाँ छूँ लूँ पर जहाँ की खुशियाँ मैं तेरे कदमों में ही पाता हूँ, माँ मेरी बहुत चाहती है मुझे मेरी माँ को मैं भी बहुत चाहता हूँ| धन्यवाद
- Get link
- X
- Other Apps
वो धूप में खड़ी रह कर मेरा इंतेज़ार करती , मुझे पसीने में लिपटा देख भी प्यार करती मेरी एक मुस्कुराहट के लिए घंटों नाच करती , माँ मेरी मुझसे बहुत प्यार करती , माँ , मैं देश विदेश घूम रहा हूँ किस तरह तुझे हर पल ढूँढ रहा हूँ , उसका छोटा सा व्याख्यान करना चाहता हूँ माँ इस चिट्ठी में , कुछ लम्हें तेरे नाम करना चाहता हूँ , माँ के हाथ के बने खाने के लिए हर जगह तरस जाता हूँ नींद तो बहुत दूर की चीज़ है कोई प्यार से पुकार दे , तो उसमें तुझे ढूँढ उस पर बरस जाता हूँ क्या बताउँ माँ फ़ोन पर तेरे दो शब्द सुनने के लिए ही फोने मिलता हूँ ' बेटा तूने खाना खाया ' ये सुन कर ही पेट भरा पाता हूँ हर शक्स की आँखों में सवाल होता है कि आज क्या क्या किया , बस एक तू ही है जो कहती है सो जा अब , ' आज बहुत कुछ है किया ' बनावटी हेलो हाय करते करते जब थक जाता हूँ एक तू ही याद आती है जिसके आगे जैसा हूँ वैसा रह पाता हूँ , माँ तेरी ममता के आगे सिर झुकाता हूँ चाहे आसमाँ छूँ लूँ पर जहाँ की
नज़ाने ये बेटियाँ कब तक लड़ेंगी नज़ाने ये बेटियाँ कब आज़ाद फिरेंगी
- Get link
- X
- Other Apps
कमाल है ना चलन बेटियों को मारने काबराबर चल ही रहा है पहले कोक में था फिर पैदा होते ही फिर ग़लती से पालली तो अरमानो का गला घोंट कर फिर बाल विवाह करवा कर कभी सती बना कर ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करकर उस पर अतयाचार करकर . का हर रूप से बलात्कार कर कर इन सब में बदलाव लाने में नज़ाने कितनी पीढ़ियाँ खून के आँसू रो रो मर चुकीं होंगी ये सब कुछ ही बदला जो बरदाश ना हुआ तो अब औरत के जिस्म को नोच नोच कर ज़िंदा जलाने का . चलन पैदा हुआ
रोज़ अख़बारो की सुर्खियाँ गंभीर रोज़ नोचते वो हमारा शरीर फिर भी लड़ना पड़ता है अदालत मैं साबित करना पड़ता है, अधमरी हालत में गिरते पड़ते साबित कर भी दें तो शैतान को हक़ है उच्च न्यायाले में गुहार करने का हे न्याया धीश हमे भी दिखा दो कोई रास्ता बेआबरू पूर्व शरीर ज़िंदा करने का.........
- Get link
- X
- Other Apps
एक सवाल आज नही तो कल मन में आ ही जाता है आख़िर लड़की होना गुनाह क्यों बन जाता है............
- Get link
- X
- Other Apps
वक्त आ गया है खाने का कसम नारी संग दुष्कर्म करने वालों को ना छोड़ेंगे हम नोच लेंगे हर वो आँख जिसकी दृष्टि में हो खोट काट देंगे वो हाथ जो नारी स्पर्श करने का करें प्रयास हमारे अंग निर्वस्त्र कर नोचते हैं खरोचते हैं उन दरिन्दों को सज़ा देने के लिए फिर हम क्यों सोचते हैं जला कर राख कर दो उन्हें बीच सड़क पर इस कदर कि रहूँ काँपती रहे उनकी हर पल हो इतना डर अब इन्तज़ार ना करेंगे औरों के फैसलों का टुकड़े कर दो इतने कि नाश हो जाए पापिओं की नसलों का वक्त के साथ हिम्मत लो हाथ मिट्टी में मिलाकर कर दो सर्वनाश जीवन गवा चुकीं है जे बच्चियाँ उनके आँसुओं को याद करो हटा कर ये खौफ के बादल ये दरिन्दे समाज से साफ करो क्योंकि आज बच्ची है किसी गैर की कल हमारी हो सकती है आज रो रहीं है आँखें किसी और की कल तुम्हारी हो सकती है।