एक सवाल आज नही तो कल मन में आ ही जाता है आख़िर लड़की होना गुनाह क्यों बन जाता है............


वक्त आ गया है
खाने का कसम
नारी संग दुष्कर्म
करने वालों को
ना छोड़ेंगे हम
नोच लेंगे हर वो आँख
जिसकी दृष्टि में हो खोट
काट देंगे वो हाथ
जो नारी स्पर्श करने का करें प्रयास
हमारे अंग निर्वस्त्र कर
नोचते हैं खरोचते हैं
उन दरिन्दों को सज़ा देने के लिए
फिर हम क्यों सोचते हैं
जला कर राख कर दो उन्हें
बीच सड़क पर इस कदर
कि रहूँ काँपती रहे उनकी हर पल
हो इतना डर
अब इन्तज़ार ना करेंगे
औरों के फैसलों का
टुकड़े कर दो इतने
कि नाश हो जाए पापिओं की नसलों का
वक्त के साथ
हिम्मत लो हाथ
मिट्टी में मिलाकर
कर दो सर्वनाश
जीवन गवा चुकीं है जे बच्चियाँ
उनके आँसुओं को याद करो
हटा कर ये खौफ के बादल
ये दरिन्दे समाज से साफ करो
क्योंकि
आज बच्ची है किसी गैर की
कल हमारी हो सकती है
आज रो रहीं है आँखें किसी और की
कल तुम्हारी हो सकती है।

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