मां की खूसूरती पर
कुछ शब्द बयां करना चाहूंगी मां में कायनात छिपी है पूरी
बस मैं अपने ढंग से बताना चाहूंगी जैसे मंत्रों का मलंग मिलन जैसे सुख से सय मेवा जिसमें निस्वयंन क बास
कि उसका रंग जैसे
धूप की सुनहरी किरण
उसकी बोली
उसकी ममता
जैसे पूर्ण में समता
उसकी सेवा
उसका विश्वास
उसकी नजर
जो आगाह कर देती हर बात की खबर
उसका मन जिसमें है सम
उसकी छाया
जिसमें संसार समाया...





 

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