आंसू ना दिखा एक भी जिसकी आंख में
आंसू ना दिखा
एक भी जिसकी आंख में
छिपाए बैठी वो समुंदर थी..
जितनी सादी वो बाहर से थी
उतनी गहरी अंदर थी..
मन की पीड़ा कह नही पाई
ज़माने को हसाती थी..
जाने कौनसा हौसला था भीतर उसके
जिससे वो हर हाल में आगे बढ़ जाती थी..
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