मोहब्बत तलाशते रहे


तेरे आंसुओं की कीमत हम कभी चुका नहीं पाएंगे
गुजारिश है तुझसे
इन्हें इस कदर ना बहा
वरना हम तुझे निभा भी नहीं पाएंगे...
इसलिए नहीं की हम कठोर हैं
बल्कि इसलिए की हम कमज़ोर हैं
लड़ सकते हैं हम जहां से
पर लड़ेंगे नहीं
रास्तों पर से काटें तू खुद चुनेगी
बस निकलेगी जिधर से
हम मिलेंगे खड़े वहीं







उनकी नफरत हमें तराशती रही
हम उनमें मोहब्बत तलाशते रहे
उनके सलीके हमें दुनिया के तौर तरीके सिखाते गए
और हम हैं कि
फिर भी अपना सब कुछ यूं उन पर लुटाते गए....



 

Comments

Popular posts from this blog

ग़लत फैमिय|

THINK POSITIVE