आज़मा कर देखले..



ना ही अपनी मजबूरी खरीदो
ना ही अपनी मजबूरी बेचो
वक्त पर भरोसा रखो
खुली नज़र से तमाशा देखो
जो आपके साथ है
उसके साथ चलो
जो आपका साथ छोड़ना चाहता है
उसको छोड़ कर आगे बढ़ो...




किन अजनबियों की महफ़िल में तू खो रहा है
किस अपने को खुश करने को
तू बावला हो रहा है
क्या मिलेगा तुझे..
यकीं ना हो तो आज़मा कर देखले..
ये वो आग है
जो कभी भुजेगी नहीं
कितना मर्जी खुद को सेक ले..



 

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