सबके साथ जीना है

 कारवाँ नही चल रहा

बस वक़्त चल रहा है
हम बैठे हैं जिसकी आस में
वो हमे ही छल रहा है
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हंसरते..थक कर सवाल करते कि क्या तुम्हारी चाहतों की कोई सीमा है ? यदि नहीं तो गुज़ारिश है। बना लो क्योंकि हमें भी सबके साथ जीना है



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