हे माता पिता तुम हो सक्षात भगवान

 तुमसे हमारी खुशी है

तुमसे हमारा बगान
तुमको देखा तो रब को
देखा तुमसे हमारा जहान
कद्र तुम्हारी हमने फिर भी ना की
जबकि तुमने लुटाया हम पर जहान
हम लेते रहे तुमसे सब कुछ फिर भी दे ना पाए सम्मान
एक दिन मांगा तुमने हमसे सिर्फ थोड़ा सा वक़्त
उस दिन वो भी ना दे सके फिर कहते हैं हम हैं तुम्हारी संतान
हे माता पिता तुम हो सक्षात भगवान कोई समझे या ना समझे
कर्ज तुम्हारा चुकाया नहीं जा सकता तुमने इतने दिए हैं  बलिदान...
ज़िन्दगी के सभी रंगो की

मुझे चाहत नहीं

आपकी नज़र में मैं रहूं सदा

मैं खुश हूं

जहां हूं

जैसे हूं

वैसा ही वहीं


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