anubhav


नाम भले ही ना हो
 निशान भले ही ना रह जाए
 बस कर्म ऐसे हो कि
 खुदा से मिलों तो वो देखता रह जाए
 और कहे ...
आओ तुम्हारा स्वागत है...
उस दुनिया में जहां इबादत ही इबादत है...

बटोर लो ज़रूरत से ज़्यादा
कितना भी
याद रखना ज़रूरत से ज़्यादा खा नहीं सकते
इसलिए
ज़रूरत से ज़्यादा से पर ध्यान देना छोड़ दो
ज़रूरत के साथ ज़िन्दगी को आसान रास्तों पर मोड़ लो..
.





 

Comments

Popular posts from this blog