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एक काफ़िला

खुवाबो ने बनाया है एक खुदा के घर से लिख कर आया है फर्क इतना है जो मिला है उसमें गिला है

जिसकी चाहत है उसमें संसार मिला है



वो कहते हैं कि

हम बेचैन रहते हैं

हर वक्त और हमारा कहना

बेचैन हैं।

इसलिए ही तो चल रहे हैं

वरना

थम चुके होते अब तक


रास्ते ढूंढने से मिलते हैं मिले मिलाएं रास्तों पर मेहनत के फूल नहीं खिलते हैं 

 

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