सच्ची बातें ...अनुभव


पैदाइश और परवरिश 
हम दोनों में ही उलझ कर रह गए 
लडकी बने हैं ना 
बस इसलिए सो गए और जिसने जैसे चाहा
वैसे ही बेह गए




सोच सोच कर थक गया था 
मैं कैसे- हां कैसे इन हालातों में 
बच गया था 
क्या ये सच है? कि मैं वक़्त को जचा हुआ था ???
 या वाक्य किसी अपने के आशीर्वाद से ढका हुआ था
 इस सवाल के जवाब ने मेरा नज़रिया बदल दिया था 
जिस जिसने मुझे प्यार से देखा 
अब से मैं संग उसके चल दिया था 

 

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