हर चीज़ जरूरत की
अब लगने लगी है उधार
जबसे तुमने एहसास करवाया है
तुम करते हो हम पर उपकार
जिसके व्यक्तित्व में
संस्कारों का बोल बाला था
उसने साथ अपने बहुतों को संभाला था
कमाल देखो ज़िन्दगी के इस मोड़ का
बरसा रखी है उस खुदा ने मुझ पर हर एक रहम
फिर भी ठोकर खाने के लिए बेताब है कदम
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