आस उतनी ही करो जिससे अरमां ना कुचले प्यास उतनी ही बुझाओ जितने से पानी पेट में ना उछले


आस उतनी ही करो
जिससे अरमां ना कुचले
प्यास उतनी ही बुझाओ
जितने से पानी पेट में ना उछले

Comments

Popular posts from this blog