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Showing posts from June, 2019
आस उतनी ही करो जिससे अरमां ना कुचले प्यास उतनी ही बुझाओ जितने से पानी पेट में ना उछले
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क्योंकि खुदा के घर हमारी महोबबत का हिसाब था..............
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महोबबत बेहिसाब थी कुछ मेरे पास कुछ उसके पास थी, बातों के दरमियाँ फ़ासले थे लैला मजनूं के काफिले थे, मन में तरंग थी बस हिम्मत तंग थी, डोर से डोर तो मिल जाती थी बस दिल की बात ज़ुबान पर नही आती थी होंठों पर मेरे कशिश थी आँखों में उसके जवाब था, मिलना लाज़मी था क्योंकि खुदा के घर हमारी महोबबत का हिसाब था..............
वक़्त से मिला हर सच स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा ज़िंदगी अपनी खुद की पर वक़्त की मार पर तपना होगा
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वक़्त से मिला हर सच स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा ज़िंदगी अपनी खुद की पर वक़्त की मार पर तपना होगा
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चेहरे पर रंग कोई भी हो अपनो के बिना सब फीका है......... फिर चाहे वो महोब्बत का हो या दुश्मनी का...............
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