हर सुबह की दोपर है दोपर की शाम शाम को ओट लेती रात फिर नई सुप्रभात, यदि ज़िंदगी को भी इसी नज़रिए से चलाएँ तो विचार रहेंगे आज़ाद..... कि कभी मुस्कुराहट है कभी है दिल हताश कभी ज़िंदगी स्थिर है कभी कदम छूते आकाश............. परिस्थितियाँ बेशक बदलती रहे बस ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहे............

हर सुबह की दोपर है
दोपर की शाम
शाम को ओट लेती रात
फिर नई सुप्रभात,
यदि ज़िंदगी को भी
इसी नज़रिए से चलाएँ
तो विचार रहेंगे आज़ाद.....
कि कभी मुस्कुराहट है
कभी है दिल हताश
कभी ज़िंदगी स्थिर है
कभी कदम छूते आकाश.............
परिस्थितियाँ बेशक बदलती रहे
बस ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहे............

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