हमे ही वो छोड़ चले थे बावजूद हमसे ही निभा रहे वो नफ़रत के रिश्ते थे.....
हमसे ही आरज़ू थी उनकी
हमसे ही उन्हें शिकवे थे
हमे ही वो छोड़ चले थे
बावजूद
हमसे ही निभा रहे वो नफ़रत के रिश्ते थे...........
हम से वो धोका कर रहे थे
खुद से वो लड़ रहे थे.......
ज़िंदगी की गाड़ी जो आसां थी
उसे वो बेबुनियादी बातों से नज़ाने क्यों गड़ रहे थे...................
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