वक़्त को मन के भाव से मैं पन्नो में समेट लेता हूँ , हाँ मैं मानता हूँ वक़्त बड़ा बलवान है पर नज़र रखूं तो मैं उसकी चाल देख लेता हूँ , कि हम जो सोचते हैं वो उसे पलट भी देता है, पर जब हम ठान लेते हैं तभ वो खुस साथ भी देता है..................
वक़्त को मन के भाव से
मैं पन्नो में समेट लेता हूँ ,
हाँ मैं मानता हूँ वक़्त बड़ा बलवान है
पर नज़र रखूं तो मैं उसकी चाल देख लेता हूँ ,
कि हम जो सोचते हैं
वो उसे पलट भी देता है,
पर जब हम ठान लेते हैं
तभ वो खुस साथ भी देता है..................
मैं पन्नो में समेट लेता हूँ ,
हाँ मैं मानता हूँ वक़्त बड़ा बलवान है
पर नज़र रखूं तो मैं उसकी चाल देख लेता हूँ ,
कि हम जो सोचते हैं
वो उसे पलट भी देता है,
पर जब हम ठान लेते हैं
तभ वो खुस साथ भी देता है..................
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