खुद को बेहतरीन बनाने की चाह में बध से भत्तर हो गया, मैं जैसा था वैसा भी ना रहा ज़माने के हिसाब से चल नही पाया और खुद को इस कश्मक्श में कहीं भूल आया.......
खुद को बेहतरीन बनाने की चाह में
बध से भत्तर हो गया,
मैं जैसा था वैसा भी ना रहा
ज़माने के हिसाब से चल नही पाया
और खुद को इस कश्मक्श में कहीं भूल आया.......
बध से भत्तर हो गया,
मैं जैसा था वैसा भी ना रहा
ज़माने के हिसाब से चल नही पाया
और खुद को इस कश्मक्श में कहीं भूल आया.......
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