हर साँस मे मन के शब्दों को उतार मैं खुद को पूर्ण पाता हूँ वरना कुछ भी करलूँ दुनिया की भीड़ में खुद को अधूरा ही पाता हूँ ....
हर साँस मे मन के शब्दों को उतार मैं खुद को पूर्ण पाता हूँ
वरना कुछ भी करलूँ
दुनिया की भीड़ में खुद को अधूरा ही पाता हूँ ....
वरना कुछ भी करलूँ
दुनिया की भीड़ में खुद को अधूरा ही पाता हूँ ....
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