वो पक्षी अंजाने में मेरी डूबती कश्ती को बचा गया जानवर होकर भी वो एक टूटते मनुष्य को चला गया...

कुछ बातों के भवर में मैं धंस गया था
इसलिए रास्तों पर फँस गया था
एक अपंग पक्षी तभी तभी मेरी नज़रों के समक्ष धीरे धीरे उड़ गया
मेरे सवालों के उत्तर से जुड़ गया
कि चोट खा कर जो पड़ा रहे
वो सदा परिस्थितियों से घिरा रहे
जो चोट खा कर चलने का प्रयास करे
वो जीवन में सदा आगे बड़े ....................

वो पक्षी अंजाने में
मेरी डूबती कश्ती को बचा गया
जानवर होकर भी वो
एक टूटते मनुष्य को चला गया...



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