एकेला ही खुश था मैं और अब रहूँगा क्योंकि मंज़ूर नही तुम सब के साथ दो पल बिताने को सवालों के कठघरे में रोज़ रोज़ खुद को तुलवाने को ...........
एकेला ही खुश था मैं
और अब रहूँगा
क्योंकि मंज़ूर नही
तुम सब के साथ दो पल बिताने को
सवालों के कठघरे में
रोज़ रोज़ खुद को तुलवाने को ...........
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