मुसाफिर ही सही.....
माना मैं कबीरा नही
माना मैं कोई हीरा नही ,
पर मुझमे भी तू ही है
तुझमे भी मैं हूँ
अंतर कर्मों का सही ...............
एक दिन तो एक होंगे
यक़ीनन
उस दिन के इंतेज़ार में चल पड़ा हूँ
मुसाफिर ही सही................
माना मैं कोई हीरा नही ,
पर मुझमे भी तू ही है
तुझमे भी मैं हूँ
अंतर कर्मों का सही ...............
एक दिन तो एक होंगे
यक़ीनन
उस दिन के इंतेज़ार में चल पड़ा हूँ
मुसाफिर ही सही................
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