वो पोंछ नहीं पा रहें हैं हम बहा नहीं पा रहें रहें हैं ........
कितने ही आँसुओं को समेट लिया
ना मिला वो शक्स जिसने मेरी मुस्कुराहट के
पीछे मुझे रोते हुए देख लिए ,
दोस्त हज़ारों है
पर कोई गले नही लगा पा रहा
जो चाहते हैं मुझे ,
उनको मैं कमज़ोर पढ़ता हुआ दिखा नही पा रहा
क्यों हैं ये फासलें
आँसुओं और अपनों के बीच में
मन की हार और मन की जीत में ,
कि वो रुमाल लेकर बैठे हैं
हम आँसुओं को
वो पोंछ नहीं पा रहें हैं
हम बहा नहीं पा रहें रहें हैं ........
धन्यवाद
ना मिला वो शक्स जिसने मेरी मुस्कुराहट के
पीछे मुझे रोते हुए देख लिए ,
दोस्त हज़ारों है
पर कोई गले नही लगा पा रहा
जो चाहते हैं मुझे ,
उनको मैं कमज़ोर पढ़ता हुआ दिखा नही पा रहा
क्यों हैं ये फासलें
आँसुओं और अपनों के बीच में
मन की हार और मन की जीत में ,
कि वो रुमाल लेकर बैठे हैं
हम आँसुओं को
वो पोंछ नहीं पा रहें हैं
हम बहा नहीं पा रहें रहें हैं ........
धन्यवाद
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