ना अल्फ़ाज़ है ना मुलाक़ातें हैं
ये कौन है जो दिल के जज़्बातों को
पढ़ पाता है
ना कभी देखा , ना बात की
पर धड़कन की टिक - टिक को उसके........ मेरा दिल सुन पाता है,
एक अजनबी सा चेहरा आसमाँ में नज़र आता है पहचानने की कोशिश करूँ तो लुप्त हो जाता
नज़र अंदाज़ करूँ ........... तो नज़र आता है ,
ये केसी महोब्बत है
ना अल्फ़ाज़ है
ना मुलाक़ातें हैं
बस रूह से रूह की बातें है
उसकी बाहों का एहसास आँख बंद करूँ तो मिल जाता है
मुस्कुरातीं हूँ तो वजूद सामने खड़ा नज़र आता है ........
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