जहाँ भी देख रही थी दिख रहा था खुदा .............
रूह ने रूह का स्वागत किया
जैसे ही मन ने उसको पुकारा पिया ,
साँसों की तरंगे उफान पर चॅढी
आज खुवाहिशे आसमान की ओर बढ़ी ,
लगा वक़्त आज मेरे हाथ में है
क्योंकि वो मेरे साथ में है ,
ज़िंदगी मुझसे खुश थी
या मैं ज़िंदगी से..................
ये नही पता .......
जहाँ भी देख रही थी
दिख रहा था खुदा .............
जैसे ही मन ने उसको पुकारा पिया ,
साँसों की तरंगे उफान पर चॅढी
आज खुवाहिशे आसमान की ओर बढ़ी ,
लगा वक़्त आज मेरे हाथ में है
क्योंकि वो मेरे साथ में है ,
ज़िंदगी मुझसे खुश थी
या मैं ज़िंदगी से..................
ये नही पता .......
जहाँ भी देख रही थी
दिख रहा था खुदा .............
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