सुख था सुकून नही ...... चाह थी जुनून नही
सुख था
सुकून नही ......
चाह थी
जुनून नही .......
शायद इसलिए मंज़िल तक पहुँच नही पा रहा था
शायद इसलिए ,लिए ही बार - बार कोशिश करने से घबरा रहा था ,
आज जब सुकून और जुनून का अर्थ समझ आया
तो ठोकर खाए हर वक़्त में अनुभव ही नज़र आया
मज़िल तक पहुँच जाउँगा
खुद में इस विश्वास को पाया ,
ज़िंदगी में मज़िल ........
सुख और चाह से नही
बल्कि सुकून और जुनून से मिलती है
ये भी समझ आया ........
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