कहाँ गई वो खुश्बू
कहाँ गई वो खुश्बू
जो हर पल में घुली थी
अपनो से मिली थी ,
हर लम्हें को मुस्कान का जाम समझ जीते थे
मुश्किलें हो या सुकून........... पल खुशी से ही बीते
थे ,
आज गुम हो गए वो रिश्ते जाने किस भीड़ में
जिन्हें देख हम जीते थे............
मन को हार कर मनाया है ज़रूर
पर मुड़ कर देखूं तो
सच यही है की लम्हे बिन उनके हम फीके थे
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