वो आँगन माँ बाबा का था

वो आँगन माँ बाबा का था
जहाँ मैं बेवजह जघरड़ती थी
कभी अकड़ती थी,
फिर प्यार से पुकारा जाता था
वो आँगन माँ बाबा का ही था
जहाँ मुझे  ग़लतियाँ करने के बाद
प्यार से समझाया जाता था,
सपनों को सच होने का एहसास
दिलाया जाता था
बाबा की जेब में भले कुछ भी हो
पर मुझे चाँद पर ले जाएँगे
ये बतलाया जाता था,
वो माँ बाबा का आँगन ही था
जहाँ मेरे नखरे उठाने के बाद भी
मुझे लाडो बुलाया जाता था.....
वो आँगन मेरे माँ बाबा का ही है
जहाँ आज भी मुझे एक नज़र देखने को
बहाने से बुलाया जाता है
वो आँगन मेरे माँ बाबा का ही है
जहाँ आज भी मुझ पर
प्यार लुटाया जाता है ........



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