उसके एहसास में मैने खुद को पाया
उसके
एहसास में मैने खुद को पाया
उसकी
बातों में खिलखिलता था मेरा साया ,
आज भी
उसको पता है कि
मुझे
क्या पसंद है
उल्टी
सीधी mail भेज कर तंग करता है
क्योकि
मेरा पढ़ाई में हाथ तंग है ,
मैं
ज़िद करती थी तो
बच्पन
में मेरे खिलोने तोड़ जाता
आज बिन
कहे मेरी पसंद की चीज़ मेरे लए छोड़ जाता ,
बच्पन
मैं कितना झघड़ ता फिर बात भी नही करता था
आज रोज़
बहाने से बात करलेता है
ना
मिलूं तो video call कर मुझे देख लेता है ,
घूर कर
आँखों से पूछता है
अगर
मेरा चेहरा उदास होता है
बच्पन
की तरह आज भी
वो मेरे
साथ होता आयी ,
वो सचता
है कि शायद मैं उसके प्यार करने के अंदाज़ को समझती नही
उसे
क्या पता उसके सिवा कोई और मुझे इतना समझता ही नही ,
इशारा
नही एक दुरे को दिल से याद करने की देरी है
भरी
महफ़िल में वो कहता है
वो पगली
से बहन मेरी है ,
भाई बहन
के इस रिश्ते को कभी किसी की ना लगे नज़र ........
यूँ ही
बीती यादों संग
नया
बनता जाए सफ़र .................
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