हसीन लगती थी मैं सबको जब तक कसिन थी

हसीन लगती थी मैं सबको जब तक कसिन थी जब से नज़ाकत छोड़ी है
लोगो के नज़रिए ने नज़रे मोडी हैं
कुछ ना करती थी तो ठीक था
अब कुछ भी करलूँ तो
सबको लगता है थोड़ी है
ये कैसी लोगो ने दिखावे की चादर ऑडी है
बुद्यू इंसान भाता है
जिसको देख कर भी नज़र नही आता है
जिस दिन वो बोलने लगता है
वही इंसान बिकार नज़र आता है ..............


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