हे प्रभु मैं कहीं भी कैसी भी हूँ, खुश हूँ अगर बिटिया हूँ

हे प्रभु
मैं कहीं भी
कैसी भी हूँ,
खुश हूँ अगर बिटिया हूँ
डगर कहीं हो
मुश्किलों में मंज़िल हो
मगर में
खुश हूँ अगर बिटिया हूँ
पर्वतों से घबराती नही
तूफ़ानो में रुकती नही ,
क्योंकि में
खुश हूँ , अगर बिटिया हूँ
बाबा की लड़ली
माँ की दुलारी
भाई की कलाई की खुसबु हूँ
अगर में बिटिया हूँ
हर जन्म मुझे बिटिया , का ही देना प्रभु
तुझसे मेरी है यही आरज़ू ..............

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