एक अजीब सा रिश्ता बनता जा रहा है

एक अजीब सा रिश्ता बनता जा रहा है
उन चेहरों के साथ ,
जिनके पीछे छिपे होते हैं गहरे राज़ ,
या यूँ कह लो की ज़िंदगी की गहराई का अनुभव मिलता है ,
जो किताबों के ज़रिए मुझे  मिलता नही
क्योंकि उनकी हसी के पीछे गम को
जब भी पढ़ने की कोशिश करता हूँ ,
तूफ़ानो में नाव चलाने के हुन्नर में
और भी गहरा उतरता हूँ 

Comments

Popular posts from this blog

अब समझ आया जंग और लड़ाई में फ़र्क क्या होता है जंग खुद से होती है और लड़ाई अपनो से...... शायद इसलिए मैं जंग तो जीत आया पर लड़ाई में हार गया ..............