कम से कम उसको इंसाफ़ तो दिलवादो .....

हर आँख नाम नही
शायद इसलिए सबको गम नही,
उस घर के खिलोनो से आती है आवाज़
कब बँध होगा
हैवानियत का ये गंदा नाच,
गोद उजड़ गई जिसकी
महसूस करे कोई
हर साँस में रह गई सिसकी,
लाल आँचल को छोड़
सो गया कफ्न ऑड,
कोई उसकी रूह को तो सुलादो
कम से कम उसको इंसाफ़ तो दिलवादो .....

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