जिसे मैं ढूँढती रही
जिसे मैं ढूँढती रही
दर बदर
वो मुझे मिला
मेरे ही घर,
परख में फरख का फासला
जिस दिन ख़त्म किया,
जो मिला है ..........
उसे अपना कर
जीना शुरू किया..........
दर बदर
वो मुझे मिला
मेरे ही घर,
परख में फरख का फासला
जिस दिन ख़त्म किया,
जो मिला है ..........
उसे अपना कर
जीना शुरू किया..........
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