आँसुओं को आज भीगने का मन है

आँसुओं को आज भीगने का मन है
बारिश की बूँदों के साथ खिलने का मान है
रूह कह रही है
आज मुझे भी एकेला छोड़ दो
समुंदर की लहरो के साथ मेरा भी अकेले बाते करने का मन है
कदमों की थिरकन भड़ रही है
जाना कहीं चाहती हूँ
वो जा कहीं और रही हैं
सब कुछ बेहद खूबसूरत सा लगता है
मेरे जिस्म से जुड़ा हर कोना आज ज़िंदा सा लगता है........................

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