खुशी ने गम से कहा तू पैदा ही क्यों होता है

खुशी ने गम से कहा
तू पैदा ही क्यों होता है
जबकि तेरे साथ होने से
इंसान केवल रोता है,
गम बोला
मैं तो वास्तविकता हूँ
तू भ्रम है,
तेरी कद्र भी वहीं है
जहाँ गम है,
माना तेरे सहारे वो गुनगुनाते हैं
और मुझमे डूब जाते हैं
पर क्या करूँ
इस ही को कर्मों का खेल बताते हैं
मुझे भी कोई शौक नही
आँसू बन बहने का
मुझे भी होटो की लाली अच्छी लगती है
पर ये तो इंसान को ही सोचना है
गम या खुशी किसको चुनना है
क्योंकि इन दोनो की डोर
कर्मों की डाली पर ही लटकी रहती हैं............

Comments

Popular posts from this blog

अब समझ आया जंग और लड़ाई में फ़र्क क्या होता है जंग खुद से होती है और लड़ाई अपनो से...... शायद इसलिए मैं जंग तो जीत आया पर लड़ाई में हार गया ..............