ज़िंदगी
ज़िंदगी
खुश हूँ ज़िंदगी से
कभी खफा हूँ,
कभी करीब हूँ
तो कभी जुदा हूँ,
मैं परिस्थितियों के रहते बदलता हूँ
कभी रुक जाता हूँ
तो कभी चलता हूँ,
तू कभी कुछ नही कहती
चाहे मैं तुझसे दोस्ती रखता हूँ
या तुझे छलता हूँ,
मैं तेरे इस हुनर की भी तारीफ कैसे करूँ
मैं तो तेरे इस अंदाज़ से भी जलता हूँ,
ए ज़िंदगी
मैं चाहे कुछ भी कहूँ
मन से तुझे हमेशा सलाम कर चलता हूँ.................
खुश हूँ ज़िंदगी से
कभी खफा हूँ,
कभी करीब हूँ
तो कभी जुदा हूँ,
मैं परिस्थितियों के रहते बदलता हूँ
कभी रुक जाता हूँ
तो कभी चलता हूँ,
तू कभी कुछ नही कहती
चाहे मैं तुझसे दोस्ती रखता हूँ
या तुझे छलता हूँ,
मैं तेरे इस हुनर की भी तारीफ कैसे करूँ
मैं तो तेरे इस अंदाज़ से भी जलता हूँ,
ए ज़िंदगी
मैं चाहे कुछ भी कहूँ
मन से तुझे हमेशा सलाम कर चलता हूँ.................
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