वक़्त से नाराज़ हो चला

वक़्त से नाराज़ हो चला
हवाओं से कहा तुमने मुझे छला,
बहक गया था मैं
खुद की लगाई हुई आग में जल रहा था मैं,
उससे लड़ने बैठा था
जिसकी गोद में
मैं खुद रहता था,
जानते हो कब समझ आया
तभ............जब जिनको अपना समझा उन्होने मुझे ठुकराया
और जिस वक़्त से मैं लड़ता था
उस ही ने मुझे गले लगाया .............

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