झुकना मुनसिफ़ समझा हमने

झुकना मुनसिफ़ समझा हमने
क्योंकि रिश्तों का पल्ला भारी निकाला,
हमने सोचा हम एकेले जी लेंगें
पर इस सोच में घर हमारा खाली निकला,
सही और ग़लत की परिभाषा हम जानते नही
पर उनके बिना जीना मुश्किल निकला,
अब चाहे वो हमें कुछ भी समझे
हमने जब साथ निभाने की फिरसे ठानी.........
तो हमारा मन भी हमारे साथ ही निकला....................

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