मेरी खामोशी

                            मेरी     खामोशी
खामोश हूँ
गुनेहगर नही
मैं पियार कर सकता हूँ
व्यापार नहीं,
रिश्तों की एहमियाद समझता हूँ
इसलिए उन्हें सिर - आँखों पर रखता हूँ,
दुख ये है
कि , कोई मेरी खामोशी को पढ़ नहीं सका
और
मुझे सिवा इन रिश्तों के कभी कोई नही दिखा....








Comments

Popular posts from this blog

ग़लत फैमिय|

THINK POSITIVE