दिल के किसी कोने में ये आरज़ू करते हैं

दिल के किसी कोने में ये आरज़ू करते हैं
माँ अब हम और बड़े होने से डरते हैं,
केसे कहें तुझसे कि,
जब छोटे थे तब बड़े होने की राह थी
अपने फ़ैसले खुद लेने की चाह थी,
आज तक जातें हैं
फ़ैसले लेते लेते................
कोई चूक हो जाए
तो जवाब देते देते..............
उस समय इन बातों से परे थे
बात छोटी हो या बड़ी
हमारे लिए तुम हर पल खड़े थे,
आज महसूस करते हैं
की तभ बेपरवाह हर पल को जीते थे
आज हर पल की परवाह कर जीते हैं...

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