तुम्हारी खामोशी को नज़र अंदाज़ कर

तुम्हारी खामोशी को नज़र अंदाज़ कर
सच हमसे गुनाह हो गया
महोब्बत में एक आशिक हमसे फनाह हो गया,
तुमने सोचा की हम क्यों इज़हार करें
हमने सोचा की वो हमसे पहले पियार करें,
शायद इस ही क्श्मकश में दिल की बात ज़ुँबा पर ना आई
आज समझ पता हूँ जिसकी की गहराई,
पर अब पछताने से
इन बातों को बतलाने से,
बदलाव नही ला सकते हम
काश उस वक़्त ये हिम्मत जुटाई होती
तुमसे ये बात ना छुपाई होती,
तो आज जिस राह पर चल पड़े हैं
वहाँ तुम्हारा एहसास नही
तुम्हारा साथ होता,
खुद से शिकायत नही
खुद पर विश्वास होता..........

Comments