गुरु का गुनगान करे गुरु का गुन गान,


गुरु का गुनगान करे गुरु का गुन गान,
जैसे इस धरती उपर आसमान,
जो बताए आपको क्या है आपकी पहचान,
और करे आपसे उसके महत्व का बखान,
माँ-बाप की अँगुली पकड़ कर देखते है हम जो दुनिया,
उसको समझने का देता है वो ज्ञान,
आपके बचपन से ही जुट जाता है जो बनाने में आपको एक नेक इन्सान,
ताकि सुख समय बीते आपका भविष्य और वर्तमान,
गुरु वो होता है जो लुटा देता है हम पर अपने ज्ञान का सागर
बिना किये एहसान,
और गुरु द्वारा इसी तरह होता है दिव्य समाज का निर्माण,
क्या कभी ये सोचते है, जिस पत्थर की मूर्ति को
अपनी सारधा से बना देते है भगवान,
आखिर उसी रूप ले कर आता है ये गुरु महान,
हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है,
जैसे क्षमा से बढ़कर नहीं है कोई दान,
वैसे ही गुरु से बढ़कर आज भी नहीं है किसी का स्थान,
तो आईए इन बातों की गहराईयों पर दे थोड़ा ध्यान,
फिर मन से करे अपने गुरु का गुनगान।

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