खामोशी की लेकर आड़
खामोशी की लेकर आड़
क्यों कर रहे हो..........रिश्तों के साथ खिलवाड़,
कह दो जो कहना है
खामोशी अब तुम्हारी तीर से चुभाती है
मन को मेरे बहुत दुखाती है,
तुम्हें लगता है कि मन की बात
यूँ इस तरह हमसे छुपा लोगे
और हम इंतेज़ार में बैठे रहते हैं
कि कब तुम संग अपने हमें
समुंदर में बहा लोगे........
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