रूबरू हुआ जबसे तू मन मेूं जागी कई आरजू


रूबरू हुआ जबसे तू
मन मेूं जागी कई आरजू
कि कोई तो है जो मुझे चाहता है इस कदर
जिससे मैं थी अब तक बे-खबर
कहाँ से आया कौन है तू
हर साँस में झलके तेरी क्यों मेरी खुशबू
अब धड़कने भी कहने लगी है
तू ही है बस तू ही तू
जिसके इन्तजार में तड़प रही थी अब तक मेरी हर आरजू
रूबरू जब से हुआ तू मन से जागी कई आरजू
दिल कह रहा है तूझसे तू थाम ले मेरी बाहें
ले चल मुझे जहाँ चाहे तू
संग चलूँगी तेरे जहाँ जाएँगी तेरी राहें
तुझसे मिलकर है मेरे मन को मिली वो खुशी
जिसको पाने से मैं अब अधुरी ना रही
मुझे तृप्त कर मुझमें समा जा तू
क्योंकि तू ही मेरा प्यार है

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